Saturday 13 March 2021

 किस ने बिछाए है इतने फ़ूल हमारी राहों मे...कौन है जो देख रहा है रोज़ हम को,छुप-छुप के दूर 


नज़ारो से..कौन है जो हमारे लिए इतना पशेमान और परेशान है..दिखता क्यों नहीं,बोलता क्यों नहीं..


ना बिखेर इतने फ़ूल हमारी राहों मे..ना लिख ''तुम परी हो ''..इन बेजुबान फूलों पे प्यार से..गज़ब दीवाने,


यह फ़ूल है,तुम पे ये ही फ़िदा हो जाए गे...तब ढूंढो गे हम को कैसे,जब यह फ़ूल ही उड़ के तेरी राहों 


मे बिछ जाए गे...ना कर पीछा हमारा,हम इन राहों पे अब कभी लौट के ना आए गे...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...