किस ने बिछाए है इतने फ़ूल हमारी राहों मे...कौन है जो देख रहा है रोज़ हम को,छुप-छुप के दूर
नज़ारो से..कौन है जो हमारे लिए इतना पशेमान और परेशान है..दिखता क्यों नहीं,बोलता क्यों नहीं..
ना बिखेर इतने फ़ूल हमारी राहों मे..ना लिख ''तुम परी हो ''..इन बेजुबान फूलों पे प्यार से..गज़ब दीवाने,
यह फ़ूल है,तुम पे ये ही फ़िदा हो जाए गे...तब ढूंढो गे हम को कैसे,जब यह फ़ूल ही उड़ के तेरी राहों
मे बिछ जाए गे...ना कर पीछा हमारा,हम इन राहों पे अब कभी लौट के ना आए गे...