किसी भी खूबसूरत चेहरे की तारीफ कर देना,शौक था उस का..किसी को अपनी मेहबूबा यू ही कह
देना,जनून था उस का..फ़िदा है आप पे,ऐसे ही कितने गज़ब लफ्ज़, कितनों को बोल कर उन्हें रिझा
देना..बस यही कातिलाना अंदाज़ था उस का..किसी का दिल कितना टूटा होगा,उस से जिस्मानी प्यार
कर के..यह कब कहाँ सोचा था उस ने..फिर दिन एक ऐसा भी आया..दिल्लगी कितनों से करने वाला
अब खुद किसी पे सच मे दिल हार बैठा..बेपनाह मुहब्बत हो गई इस बार उस को किसी ऐसे से,जो उस
से उस का ही दिल चुरा पाया...कुदरत,तेरे रंग हज़ार...दिल्लगी करते-करते अब जा कर उसे,मुहब्बत
का मायना समझ आया..