Sunday 14 March 2021

 माता-पिता के शब्दों का अर्थ अब सही से समझ आया..'' दुनियाँ मे जीना है सर उठा कर तो असूल जो 


मैंने सिखाए है,पल्लू से हमेशा बाँध कर रखना..जब यह दुनियाँ तुझे तेरे अस्तित्व से पहचाने,तेरे सरल


सहज होने से ही तुझे पूरी तरह जाने..जब वो लोग भी तेरे पास लौट आए जो तेरी किसी भी बात से जाने 


अनजाने दूर हो जाए..जब यह दुनियाँ तुझे सिर्फ खोने भर के डर से ही काँप जाए..बेशुमार दुलार-प्यार 


हर जगह से तेरी झोली मे आने लगे..और हां,जितना भी मिले..उस से अभिमानी मत होना..सरलता का 


रूप बन दुनियाँ को हमेशा अपने प्यार से अपना बना लेना..वो दिन जब भी आए गा,तेरे माँ-बाबा का 


सर फक्र से ऊँचा हो जाए गा''..हां माँ-बाबा दुनियाँ दे रही है प्यार हमें,हमारी सरलता के लिए..एक 


अस्तित्व बनाया है आप की बेटी ने,आप के दिए संस्कारो के तले...आप के मान की लाज यह बेटी 


निभाए गी...दुश्मनों को भी अपने अस्तित्व से यक़ीनन जीत पाए गी...''आप की गुड्डी''...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...