Sunday 21 March 2021

 वो तूफ़ान से जयदा कही गहरा सैलाब था,बेइंतिहा जख्मों से भरा...इक जख़्म को मरहम लगाते तो दूजा 


साथ-साथ ही चला आता..उस पे सितम यह कि आंख अश्क से जरा ना भरे..और कदम रुकने की जुर्रत 


तक ना करे..पर सब करने के बावजूद तूफ़ान को आना था बहुत तेज़ी से,सो आ ही गया..गहरा तूफान 


और हिचकोलें खाते सपने हमारे...बहुत हिम्मत से उन सब सपनो को जमीं मे दफ़न कर ही दिया...अब 


तूफान के जाने के बाद की वो शांति,अक्सर हम को नींद से उठा देती है..यू लगता है जैसे आज भी वो 


तूफान हमारे जेहन मे है और हम मरहम को साथ लिए उस तूफान को,उस के जख्मों को सहला रहे  


हो..जैसे इस उम्मीद मे कि तूफान थम ही जाये गा...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...