Wednesday 10 March 2021

 लिख रहे लफ्ज़ तो पन्ने क्यों तेरे आने की आहट से,बस मे हमारे नहीं  है आज...हर लफ्ज़ पे जैसे तेरा 


नाम पुकार रहे हो..तेरी हर शरारत,तेरी हर अदा चुपके से इन पन्नों पे कैद कर रहे है आज...सुभान 


अल्लाह,यह भी तेरे ही हो गए है आज...अब बता तेरी शिकायत कहा लिखें,यह तो तेरे ही रंग मे रंग 


गए है आज...हम जानते है कि इतने सरल भी नहीं है आप..पर हमारे ही पन्नों पे राज़ करने की कोशिश 


इस तरह करे गे आप..जनाब,किसी ग़लतफ़हमी मे ना रहे,इन पन्नों को कस के थामा है हम ने,तुझ से 


मिलने के बाद...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...