लिख रहे लफ्ज़ तो पन्ने क्यों तेरे आने की आहट से,बस मे हमारे नहीं है आज...हर लफ्ज़ पे जैसे तेरा
नाम पुकार रहे हो..तेरी हर शरारत,तेरी हर अदा चुपके से इन पन्नों पे कैद कर रहे है आज...सुभान
अल्लाह,यह भी तेरे ही हो गए है आज...अब बता तेरी शिकायत कहा लिखें,यह तो तेरे ही रंग मे रंग
गए है आज...हम जानते है कि इतने सरल भी नहीं है आप..पर हमारे ही पन्नों पे राज़ करने की कोशिश
इस तरह करे गे आप..जनाब,किसी ग़लतफ़हमी मे ना रहे,इन पन्नों को कस के थामा है हम ने,तुझ से
मिलने के बाद...