देख परेशानी मे हम को वो प्यार से बोले..''मैं हू ना साथ तेरे''...सुन के यह लफ्ज़,हम परेशानी भूल गए
अपनी...यह बावरा मन हमारा साथ क्या दे पाए गा...जिस को ज़िंदगी के हर मोड़ पे हम ही सँभालते
आए है,वो....? मुस्कुराए और बोले उन से,''तुम जैसों को कब से सँभालते आए है..तेरे दर्द को समझ
तेरे अश्क तक पोंछते आए है..सुन के हमारी परेशानी,तुम तो अंदर से हिल जाओ गे..बस खुश हुए यह
सुन के कि इतनी ही लफ्ज़ बोलने की ताकत जुटा ली तुम ने..हां,जाना..अब हम खुद ही संभल जाए गे''..