Monday 8 March 2021

  बदल रहा है मौसम तो क्या गम है..कम से कम इस के बदलने का कोई वक़्त तो है...इंसानो से इस 


को मिलाए कैसे,यह इंसानो की तरह दोहरे चेहरे का तो नहीं है...यह इंसान वक़्त-बेवक़्त यू ही बदल 


जाया करते है..कुछ थोड़ा सा भी बुरा लग जाए,मौसम से भी जयदा पलट जाया करते है...मन-मुताबिक 


इन के चलते रहो,इन की हर अच्छी-बुरी बात मानते रहो तो यह साथ चलने का वादा भी कर लेते है...


बेशक वो वादा, वादा रहे ना रहे..यह बेमौसम बरस भी जाया करते है..कभी बिठा देते है सर पे तो कभी 


यू ही राह बीच पटक भी दिया करते है...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...