Wednesday 3 March 2021

 कजरारे नैना बिन काजल ही वार कर गए...पलकों के तीखे किनारे उन के दिल को चीर-चीर गए...कहा 


तो कुछ भी नहीं इन लबों ने मगर बिन कहे वो सब समझ गए..हम ने लहराई चुनरी हवा मे और वो हंस 


के हमारे सदके खुद ही पास हमारे चले आए...अचानक से बादल आए और बरसा कर बौछारें हम दोनों 


को प्यार के सैलाब मे भिगो-भिगो गए...क्या कहिए गा ऐसे प्रेम को..जो बिन जुबान दिए प्रेम को साबित 


कर गया..तभी तो कहते है ''प्रेम की कोई भाषा होती कहां है..जो ख़ामोशी को भी सुन ले,यह इबादत की 


वो चरम सीमा होती है''.....

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...