कितनी ही रंगबिरंगी तेरी यादें ज़ेहन मे है मेरे....अक्सर गुदगुदा जाती है मुझे...यूं ही कभी तेरी किसी
बात पे हंस दिए..यूं ही कभी-कभी तेरी किसी गुस्ताखी पे ही मुस्कुरा दिए..चलते-चलते कदम ठिठक
जाते है,यूं लगता है आज भी तू मेरे पीछे-पीछे है...तेरा इंतज़ार करते रहते है,दीवाने बादल की तरह..
तू मिले तो जम के बरस जाए तेरे ही रुखसार पे सावन की तरह...हम सा कोई ना मिले गा तुझे..जो
अजीब सी कशिश हम मे है,वो तुझ जैसे पागल को मिले गी भी नहीं..जानती हू,तेरी तलाश किसी और
के लिए आज भी ज़ारी है..ढूंढ -ढूंढ के जब थक जाए तो लौट आना पास मेरे....