मुहब्बत के जिस दर्द से बेहाल है आप...वो दर्द भी हम से पाया है आप ने..कितनी ही रातें गुजारी हम ने
बदल-बदल के करवटें,यह आप का दिल कब जान पाया...बदहवासी के चलते,किस वक़्त हम ने खुदा
से तेरे लिए ऐसा दर्द मांग लिया..जिस दर्द से हम गुजर रहे है,बस उस से जयदा दर्द हम ने खुदा से तेरे
लिए भी मांग लिया..सोच जरा,हमारी यह मुहब्बत रूह के दरीचों से इतनी जुड़ गई कि खुदा ने तुझे दे
कर दर्द,हमारी इल्तिज़ा मंजूर कर ली..संभल जा अब तो जरा..खुदा ने जब इतनी हमारी सुनी,तो कुछ
इल्तिज़ा तू भी उस से कर...मुहब्बत को दे नया रास्ता और मेरे संग-संग चल..