Thursday, 28 June 2018

ज़िंदगी की दहलीज़ पे रोज मौत का खेल खेलते है....साँसों से प्यार है लेकिन मौत को हमराज़ मान

कर एक नई बाज़ी फिर भी रोज खेलते है....ज़िंदादिली से इसी जीवन को ऐसे ही निभाते है,प्यार तो

करते है मगर साँसों के टूट जाने का हर पल ख्याल रखते है....हर दिन को जीते है इस ख्याल से कि

कल हो या ना हो,पर मलाल ना रहे किसी बात का इसी वजह से हर छोटी बात पे खिलखिला कर,

हर दिन का मान रखते है....

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...