Sunday 1 July 2018

बहुत प्यारी सी महक है आज इन हवाओ मे...लगता है किसी ने हम को दुआओ मे अपनी आज 

निखारा है....दिल की धडकनो मे कोई जादू सा है,शायद किसी ने रूह से अपनी हम को पुकारा है 

आँखों की पलकों मे कुछ भारीपन सा है..क्या किसी ने अपने सपनो की नगरी मे आने को पुकारा

है....नज़र उठती है तो कभी गिरती है,मुस्कान लबो पे अनायास क्यों रुक जाती है....कुदरत के

इशारे को समझने के लिए,इन हवाओ ने क्यों अपने  को यू महकाया है....

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...