Saturday 14 July 2018

आप को सिर्फ सोचा,और हमे इस ज़िंदगी से प्यार हो गया...दिल की धड़कनो की आवाज़ सुनी और

यह दिल ना जाने कब आप के करीब हो गया...पलकों के शामियाने मे कब कैसे आप को बसा लिया..

रातो पे आप का कब और क्यों पहरा हो गया...खुद को आईने मे निहारा,खुद ही को खुद ने पहचानने

से इंकार कर दिया....सोचा सिर्फ आप को,और अपनी ज़िंदगी से बरबस प्यार हो गया...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...