क्या लिखू तुझ पे,कि शब्द कम पड़ जाते है....कितना याद करू तुझ को कि यादो का सागर कहा
कम होता है....घर के हर कोने मे तेरा साया आज भी है....उन्ही सीढ़ियों पे तेरे नन्हे पैरो की छाप
आज तक भी है...भूला कहा जाए गा मुझ से,कि हर लम्हा तेरा ख्याल आज भी है...तूने जो जोड़
रखा था पूरे घर को एक धागे से,तुझे देखे बिना चैन कहा किस को था...नम आँखों से याद क्यों
करू तुझ को कि तू तो सदियों तलक मेरे दिल मे ज़िंदा है....
कम होता है....घर के हर कोने मे तेरा साया आज भी है....उन्ही सीढ़ियों पे तेरे नन्हे पैरो की छाप
आज तक भी है...भूला कहा जाए गा मुझ से,कि हर लम्हा तेरा ख्याल आज भी है...तूने जो जोड़
रखा था पूरे घर को एक धागे से,तुझे देखे बिना चैन कहा किस को था...नम आँखों से याद क्यों
करू तुझ को कि तू तो सदियों तलक मेरे दिल मे ज़िंदा है....