कदम से कदम चलने की बात करे तो यह कदम अक्सर खो जाया करते है...कभी कभी बहकावे मे
आ कर साथ छोड़ जाया करते है...तीतर-बीतर हो जाती है दुनिया जब कदम रेत मे धस जाया करते
है...सवालो के घेरे मे खामोशिया भी खामोश हो जाया करती है...गरजते बरसते बादलो मे तेज़ आहट
से कभी कभी डर से कदम मिल भी जाया करते है....
आ कर साथ छोड़ जाया करते है...तीतर-बीतर हो जाती है दुनिया जब कदम रेत मे धस जाया करते
है...सवालो के घेरे मे खामोशिया भी खामोश हो जाया करती है...गरजते बरसते बादलो मे तेज़ आहट
से कभी कभी डर से कदम मिल भी जाया करते है....