क्यों नहीं लगा उस को कि किस्मत की लकीरो के आगे सर झुका चुके है हम...कुदरत के फैसलों को
पूरी तरह स्वीकार कर चुके है हम...राह तेरी ना अब देखे गे किसी और के साथ अब बंध चुके है हम...
जिस्मो-जान की कीमत क्या होती है,यह तो पता नहीं...मगर रूह की बात सुने तो यक़ीनन रूह को
तो रूह तेरी के साथ कब से जोड़ चुके है हम...यह जिस्म तो आखिर मिट ही जाया करते है,रूह को
रूह से करीब करने के लिए अगले जनम की बात सोच चुके है हम....
पूरी तरह स्वीकार कर चुके है हम...राह तेरी ना अब देखे गे किसी और के साथ अब बंध चुके है हम...
जिस्मो-जान की कीमत क्या होती है,यह तो पता नहीं...मगर रूह की बात सुने तो यक़ीनन रूह को
तो रूह तेरी के साथ कब से जोड़ चुके है हम...यह जिस्म तो आखिर मिट ही जाया करते है,रूह को
रूह से करीब करने के लिए अगले जनम की बात सोच चुके है हम....