रास्तो मे धूल जमती रही और हम साफ़ करते रहे....लफ्ज़ो के चलते चलते,ज़िंदगी का रुख बदलते
रहे....इंतज़ार था उस सावन का,जो बरसे इतना कि यह रास्ते फिर से निखर जाए....हाथ जोड़ कर
उस मालिक से दुआ पे दुआ करते रहे...कितने ही सावन आए और चले गए,शायद धूल थी इतनी
गहरी कि सावन भी उन को सवार नहीं पाए...थक कर छोड़ा तमाम रास्तो को और खुली हवा मे सांस
लेने चले आए....
रहे....इंतज़ार था उस सावन का,जो बरसे इतना कि यह रास्ते फिर से निखर जाए....हाथ जोड़ कर
उस मालिक से दुआ पे दुआ करते रहे...कितने ही सावन आए और चले गए,शायद धूल थी इतनी
गहरी कि सावन भी उन को सवार नहीं पाए...थक कर छोड़ा तमाम रास्तो को और खुली हवा मे सांस
लेने चले आए....