बरसा तो बरसा आज सावन इतना कि दिल का दर्द हवा हो गया...तूफानी बौछारों से किन्ही यादो से
मन गुदगुदा गया...जी चाहा आज भी उतना ही भीग जाए इस मौसम मे,बरसो पहले भीगते थे जैसे
लड़कपन मे...सिर्फ एहसास था छोटी छोटी बातो का,झगड़ा था कागज़ की बनी उस नौका का...लौट
कर वो वक़्त कब आता है,मगर यह सावन हमेशा याद वही सब दिला जाता है....
मन गुदगुदा गया...जी चाहा आज भी उतना ही भीग जाए इस मौसम मे,बरसो पहले भीगते थे जैसे
लड़कपन मे...सिर्फ एहसास था छोटी छोटी बातो का,झगड़ा था कागज़ की बनी उस नौका का...लौट
कर वो वक़्त कब आता है,मगर यह सावन हमेशा याद वही सब दिला जाता है....