ऐसा चेहरा जो मासूम था किसी फूल की तरह....नहीं था काजल आँखों मे,फिर भी सुरमई जादू था
किसी को खुद की तरफ खींच लेने के लिए....पलके झुकी ऐसा लगा दिन कैसे रात मे यू ढल गया ...
जुल्फे खुली तो शामियाना बादलों का जैसे बन गया....कैसे छुए हिम्मत नहीं सादगी का रूप है...
सर झुका बस सज़दा किया,नज़र उतार दी दूर से और अदब से उस मालिक को शुक्रिया कहा....
किसी को खुद की तरफ खींच लेने के लिए....पलके झुकी ऐसा लगा दिन कैसे रात मे यू ढल गया ...
जुल्फे खुली तो शामियाना बादलों का जैसे बन गया....कैसे छुए हिम्मत नहीं सादगी का रूप है...
सर झुका बस सज़दा किया,नज़र उतार दी दूर से और अदब से उस मालिक को शुक्रिया कहा....