Sunday 3 June 2018

 अपने रुखसार से हवाओ को यू ही जाने दिया बहकने के लिए....जा बिखर जा फिजाओ मे मेरे

अंदाज़े-बयां के लिए....फिर यह शिकायत ना करना कि बहुत मगरूर है हम...गिला यह भी करना

तुझे देख कर क्यों पर्दा-नशी हो जाते है हम...खुद के वज़ूद से बहुत मुहब्बत है हम को...कोई कही

छू ना ले,इस ख्याल से खुद को खुद मे समेट लेते है हम... खुशकिस्मती अपनी समझ कि अपने

रुखसार से तुझे यू ही जाने दिया बहकने के लिए .....

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...