अपने रुखसार से हवाओ को यू ही जाने दिया बहकने के लिए....जा बिखर जा फिजाओ मे मेरे
अंदाज़े-बयां के लिए....फिर यह शिकायत ना करना कि बहुत मगरूर है हम...गिला यह भी करना
तुझे देख कर क्यों पर्दा-नशी हो जाते है हम...खुद के वज़ूद से बहुत मुहब्बत है हम को...कोई कही
छू ना ले,इस ख्याल से खुद को खुद मे समेट लेते है हम... खुशकिस्मती अपनी समझ कि अपने
रुखसार से तुझे यू ही जाने दिया बहकने के लिए .....
अंदाज़े-बयां के लिए....फिर यह शिकायत ना करना कि बहुत मगरूर है हम...गिला यह भी करना
तुझे देख कर क्यों पर्दा-नशी हो जाते है हम...खुद के वज़ूद से बहुत मुहब्बत है हम को...कोई कही
छू ना ले,इस ख्याल से खुद को खुद मे समेट लेते है हम... खुशकिस्मती अपनी समझ कि अपने
रुखसार से तुझे यू ही जाने दिया बहकने के लिए .....