Tuesday 26 June 2018

लगता क्यों था कि तेरे बगैर ज़िंदगी कट जाए गी....यादो को संभाले गे और वक़्त की मार को तोड़

जाए गे...कोशिश करते रहे,करते रहे...मगर मोड़ ऐसे आते गए तेरी यादो के साथ सब झेल क्यों नहीं

पाए....अक्सर खामोश रातो मे तुझ से बाते हज़ार करते है...आंसुओ से भिगो कर दामन खुद को खुद

से प्यार कर लेते है...तू कही दूर बहुत दूर बेशक रहे,तेरी हर बात का मान रखने के लिए...कहे गे खुद

से हर बार कि तेरी यादो के सहारे यह ज़िंदगी कट ही जाए गी ....

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...