रंजिश ना पाल यू दिल मे कि वहां मेरा भी डेरा है...ख़लल नींदो मे ना डाल कि आँखों मे मेरा भी बसेरा
है...साँसों को खुले आम चलने दे कि मेरी खुशबू के बिना इन का कहाँ गुजारा है...हसी को लबो मे यू
ना दबा,जानते हो इन लबो ने हसना हमी से तो सीखा है....चाँद को निहारते हो मेरे बिना,चांदनी ने
सवारना यक़ीनन हमी से सीखा है...रंजिश को निकाल दिल से अपने,मत भूल कि वहां डेरा अब भी
मेरा ही है....
है...साँसों को खुले आम चलने दे कि मेरी खुशबू के बिना इन का कहाँ गुजारा है...हसी को लबो मे यू
ना दबा,जानते हो इन लबो ने हसना हमी से तो सीखा है....चाँद को निहारते हो मेरे बिना,चांदनी ने
सवारना यक़ीनन हमी से सीखा है...रंजिश को निकाल दिल से अपने,मत भूल कि वहां डेरा अब भी
मेरा ही है....