Sunday 24 June 2018

रंजिश ना पाल यू दिल मे कि वहां मेरा भी डेरा है...ख़लल नींदो मे ना डाल कि आँखों मे मेरा भी बसेरा

है...साँसों को खुले आम चलने दे कि मेरी खुशबू के बिना इन का कहाँ गुजारा है...हसी को लबो मे यू

ना दबा,जानते हो इन लबो ने हसना हमी से तो सीखा है....चाँद को निहारते हो मेरे बिना,चांदनी ने

सवारना यक़ीनन हमी से सीखा है...रंजिश को निकाल दिल से अपने,मत भूल कि वहां डेरा अब भी

मेरा ही है....

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...