Tuesday 12 June 2018

आदाब बजाते है खिदमत  मे तेरी...कितने ही नाज़ उठा लेते है हसरत मे तेरी....दिनों का हेर-फेर हो

या बाज़ी हो दिल को जीत लेने की...फ़िक्रमंद रहे सदा,धूप खिली या शाम ढली....मौसम भले ही बदल 

जाया करते है,मगर कशिश की यह चाह अधूरी रहती है मेरी...मिलन की राह देखे या उदासी का जामा

पहने...फर्क इतना है कि हर दिन हर पल, रहते है इंतज़ार मे तेरी...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...