आदाब बजाते है खिदमत मे तेरी...कितने ही नाज़ उठा लेते है हसरत मे तेरी....दिनों का हेर-फेर हो
या बाज़ी हो दिल को जीत लेने की...फ़िक्रमंद रहे सदा,धूप खिली या शाम ढली....मौसम भले ही बदल
जाया करते है,मगर कशिश की यह चाह अधूरी रहती है मेरी...मिलन की राह देखे या उदासी का जामा
पहने...फर्क इतना है कि हर दिन हर पल, रहते है इंतज़ार मे तेरी...
या बाज़ी हो दिल को जीत लेने की...फ़िक्रमंद रहे सदा,धूप खिली या शाम ढली....मौसम भले ही बदल
जाया करते है,मगर कशिश की यह चाह अधूरी रहती है मेरी...मिलन की राह देखे या उदासी का जामा
पहने...फर्क इतना है कि हर दिन हर पल, रहते है इंतज़ार मे तेरी...