Tuesday 5 June 2018

हमेशा की तरह आज भी तेरे चेहरे से वही नूर टपकते देखा...तेरी आवाज़ मे पायल की उसी झंकार

को सुनते देखा...कदम दर कदम तेरी चलने की अदा मे,बहकने का वैसा ही सिलसिला देखा...दुनिया

की नज़र से खुद को आज भी बचा कर रखना कि इसी दुनिया का वो रंग ढंग आज भी पुराना देखा ..

तू महफूज़ रहे मेरी मुहब्बत के तहत कि मुहब्बत मे जान लुटाना,तेरी आशिकी ने मुझ मे आज भी

देखा...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...