हमेशा की तरह आज भी तेरे चेहरे से वही नूर टपकते देखा...तेरी आवाज़ मे पायल की उसी झंकार
को सुनते देखा...कदम दर कदम तेरी चलने की अदा मे,बहकने का वैसा ही सिलसिला देखा...दुनिया
की नज़र से खुद को आज भी बचा कर रखना कि इसी दुनिया का वो रंग ढंग आज भी पुराना देखा ..
तू महफूज़ रहे मेरी मुहब्बत के तहत कि मुहब्बत मे जान लुटाना,तेरी आशिकी ने मुझ मे आज भी
देखा...
को सुनते देखा...कदम दर कदम तेरी चलने की अदा मे,बहकने का वैसा ही सिलसिला देखा...दुनिया
की नज़र से खुद को आज भी बचा कर रखना कि इसी दुनिया का वो रंग ढंग आज भी पुराना देखा ..
तू महफूज़ रहे मेरी मुहब्बत के तहत कि मुहब्बत मे जान लुटाना,तेरी आशिकी ने मुझ मे आज भी
देखा...