Monday 18 June 2018

समंदर की लहरों मे वो तेरे पांवो का भिगोना...खिलखिला कर तेरा वो हस देना,क़यामत बन कर

मेरे दिलो-दिमाग पर छा जाना...पानी की बौछारों मे मुझ को भी भिगो देना...अल्हड़पन तेरा,ऐसी

 मासूम अदा..जो भी देखे हो जाए फ़िदा...नज़ाकत से भरी,फूलो सी खिली...कौन हो तुम...ज़न्नत की

परी या खुदा की तराशी कोई संगेमरमर की कला....ख्वाईशो की जरुरत होगी कहाँ,तुझ को देखा और

दिल ने कहा सज़दा करना तेरा,है तेरी जगह....

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...