भूल करने के लिए तुझे फिर भूले से याद कर लिया....जज्बात बहे,यादे बही ज़िंदगी का वो मुकाम
फिर से याद कर लिया...सपनो को बिखेरा,किस ने बिखेरा,क्यों बिखेरा...इस का फैसला करने के
लिए भूले से तुझे याद किया..यादो का सफर लम्बा था,वादों का असर कुछ कम ना था...धूल उड़ाई
अँधियो ने ऐसी कि शाख कहाँ और पत्ते भी कहाँ...मौसम आए सावन का,बस यही सोच कर भूले से
तुझे फिर याद किया....
फिर से याद कर लिया...सपनो को बिखेरा,किस ने बिखेरा,क्यों बिखेरा...इस का फैसला करने के
लिए भूले से तुझे याद किया..यादो का सफर लम्बा था,वादों का असर कुछ कम ना था...धूल उड़ाई
अँधियो ने ऐसी कि शाख कहाँ और पत्ते भी कहाँ...मौसम आए सावन का,बस यही सोच कर भूले से
तुझे फिर याद किया....