Tuesday 12 June 2018

दोस्तों....मेरी शायरी ज़िंदगी,प्यार दुलार,मुहब्बत,मिलन,दूरी....और भी ना जाने क्या क्या....एक शायर की कल्पना उस की लेखनी,उस के पन्नो पे नज़र आती है....मेरी शायरी कभी किसी व्यक्ति विशेष के लिए नहीं होती..अगर किसी को मेरे लेखन से,मेरी शायरी से ठेस या तकलीफ पहुंची हो,तो तहे-दिल से माफ़ी चाहती हु...अपने सभी प्रशसको को मेरा नमस्कार,आदाब और शुक्रिया...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...