Saturday, 23 June 2018

बेहद सादगी से आप ने अपनी ज़िंदगी मे इस कदर शामिल किया....भूल ही गए इसी ज़माने ने कितना

बेइज़्ज़त हम को किया....ग़ुरबत से भरी ज़िंदगानी,टुकड़े टुकड़े जीने के लिए तरसती हर दिन की कोई

अजब कहानी...किस को कहते अपना,धुंधली धुंधली यादो के तहत भीगी आँखों से सब याद किया...

किस मोड़ पे आप मिले,बंद किस्मत के किवाड़ खुलने को हुए...इतनी सादगी कि हम आप पे वारी

वारी हुए...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...