बेहद सादगी से आप ने अपनी ज़िंदगी मे इस कदर शामिल किया....भूल ही गए इसी ज़माने ने कितना
बेइज़्ज़त हम को किया....ग़ुरबत से भरी ज़िंदगानी,टुकड़े टुकड़े जीने के लिए तरसती हर दिन की कोई
अजब कहानी...किस को कहते अपना,धुंधली धुंधली यादो के तहत भीगी आँखों से सब याद किया...
किस मोड़ पे आप मिले,बंद किस्मत के किवाड़ खुलने को हुए...इतनी सादगी कि हम आप पे वारी
वारी हुए...
बेइज़्ज़त हम को किया....ग़ुरबत से भरी ज़िंदगानी,टुकड़े टुकड़े जीने के लिए तरसती हर दिन की कोई
अजब कहानी...किस को कहते अपना,धुंधली धुंधली यादो के तहत भीगी आँखों से सब याद किया...
किस मोड़ पे आप मिले,बंद किस्मत के किवाड़ खुलने को हुए...इतनी सादगी कि हम आप पे वारी
वारी हुए...