Tuesday 19 June 2018

मेरी सलामती चाहने के लिए,उस के पास कोई वजह ना थी...इकरार के धागो को बांधने के लिए,कोई

मजबूत डोरी साथ ना थी....शब्दों को जानने के लिए,दिल मे दूर दूर तक कोई जगह ही ना थी....कही

दूर आसमां तक परिंदो के उड़ जाने की कोई खबर ना थी....वो पत्थर दिल रहा या बेजान कोई पुतला

कि मेरी भावनाओ की कोई उस को कद्र ना थी...अक्सर पूछ लेते है मेरे मालिक,इस को दुनिया मे

भेजने की क्या कोई और वजह भी थी....

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...