Tuesday 12 June 2018

हस पड़े तेरी इस आशिकी पे,गश खा कर गिर पड़े तेरी रूमानी बातो पे....तौबा हज़ूर आप तो ऐसे ना थे

वो काम मे मशगूल रहना,किताबो मे खुद को डुबो कर रखना....मुहब्बत लफ्ज़ से ही कतराना,जो छू

लू तो शिकन चहेरे पे ले आना...अंगारे बरसाती तेरी वो आंखे,खौफ से सहमी मेरी नाजुक साँसे....क्या

बात है मेरे आका,इस बदलने की असल वजह क्या है...जाने दीजिये,बस मुझे आज अपनी इन्ही बाहों

मे सिमटने दीजिये .....

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...