बारिश थमी,आंसू थमे...शिकवे थमे,गिले सब दूर हो गए...रौशनी की आस मे दूर होते होते,वो इतने
करीब कैसे हो गए....झलक देखी दूर से,ढका था चेहरा किसी गजब के नूर से....शहनाई की गूंज से
दुनिया सारी हसीन लगने लगी...यूँ लगा आसमान से जैसे हज़ारो परियां उतरने लगी....यह कोई
खवाब है या भीगे मौसम की कोई जादूगरी,खुशनुमा हवाओ से मेरे आँचल मे कही सरसराहट सी हुई
आ करीब मेरे ज़रा,कि यह रात आज है बेहद भीगी हुई...
करीब कैसे हो गए....झलक देखी दूर से,ढका था चेहरा किसी गजब के नूर से....शहनाई की गूंज से
दुनिया सारी हसीन लगने लगी...यूँ लगा आसमान से जैसे हज़ारो परियां उतरने लगी....यह कोई
खवाब है या भीगे मौसम की कोई जादूगरी,खुशनुमा हवाओ से मेरे आँचल मे कही सरसराहट सी हुई
आ करीब मेरे ज़रा,कि यह रात आज है बेहद भीगी हुई...