Saturday 9 June 2018

बारिश थमी,आंसू थमे...शिकवे थमे,गिले सब दूर हो गए...रौशनी की आस मे दूर होते होते,वो इतने

करीब कैसे हो गए....झलक देखी दूर से,ढका था चेहरा किसी गजब के नूर से....शहनाई की गूंज से

दुनिया सारी हसीन लगने लगी...यूँ लगा आसमान से जैसे हज़ारो परियां उतरने लगी....यह कोई

खवाब है या भीगे मौसम की कोई जादूगरी,खुशनुमा हवाओ से मेरे आँचल मे कही सरसराहट सी हुई

आ करीब मेरे ज़रा,कि यह रात आज है बेहद भीगी हुई...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...