Wednesday 11 June 2014

बरसों के बाद तेरा मुझ को फिऱ से पुकारना,एक खूबसूरत एहसास ही तो हैं..

हम पे यकी करना,एक नए रिशते् को जताना यह पयार ही तो हैं...

तुम पे मिटने के लिए,अभी भी हम में जान बाकी है..

तुमहें पयार करने के लिए,अभी भी जजबात बाकी हैं...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...