जो किया..जितना भी किया.
अपने मन और आतमा से किया..
यह बात और है कि हमारी किसमत ने हमें ही..
गुनाहगार बना दिया..
अपने मन और आतमा से किया..
यह बात और है कि हमारी किसमत ने हमें ही..
गुनाहगार बना दिया..
दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...