जखम जो हम को मिले,उस का हिसाब किसी के पास ना था..दरद की इनतियाँँ मे
कैैैसे जिए,यह मलाल भी किसी को ना था..छाले हाथो मे हमारे भी पडे,पर उन के
फटने का एहसास किसी को ना हुआ..हम गुनाहगाऱ बने उनही नजऱो के,जिन के साथ
बरसो का आशिय़ाना रहा.....
कैैैसे जिए,यह मलाल भी किसी को ना था..छाले हाथो मे हमारे भी पडे,पर उन के
फटने का एहसास किसी को ना हुआ..हम गुनाहगाऱ बने उनही नजऱो के,जिन के साथ
बरसो का आशिय़ाना रहा.....