हसरत थी उन रासतों पे चलने की,जिन का सपना हम देखते ही रहे...
कभी उस की कभी इस की खवाहिशों पे,वकत बरबाद करते ही रहे..
आज सजा रहे है उन सपनो को,खुद के खयालों से..
सहारे ना माँगे थे कभी,पर साथ दुनिया के चलते ही रहे...
कभी उस की कभी इस की खवाहिशों पे,वकत बरबाद करते ही रहे..
आज सजा रहे है उन सपनो को,खुद के खयालों से..
सहारे ना माँगे थे कभी,पर साथ दुनिया के चलते ही रहे...