Saturday 14 June 2014

हसरत थी उन रासतों पे चलने की,जिन का सपना हम देखते ही रहे...

कभी उस की कभी इस की खवाहिशों पे,वकत बरबाद करते ही रहे..

आज सजा रहे है उन सपनो को,खुद के खयालों से..

सहारे ना माँगे थे कभी,पर साथ दुनिया के चलते ही रहे...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...