Friday 13 June 2014

मेरी जिनदगी पननो पे लिखी एक दासताँ ही तो थी..

तुम आए और इन पननो को फाड़ दिया..

एक दसतक,एक साए ने पुकारा हम को..

यह बताने के लिए,कि हकीकत इन पननोे से कही आगे है.

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...