उसूलों से जो ना जोडते,जिनदगी अपनी,हर रिशता हमारा होता...
चाशनी मे भिगो कर लफजो को बनाया होता,तो जीवन कुछ और होता..
दौलत के दरवाजों पर,सर झुका देते गर हम...
तो यह जीवन हमारा,बादशाहों का खजाना होता.....
चाशनी मे भिगो कर लफजो को बनाया होता,तो जीवन कुछ और होता..
दौलत के दरवाजों पर,सर झुका देते गर हम...
तो यह जीवन हमारा,बादशाहों का खजाना होता.....