Sunday 15 June 2014

रासते बनाए जाते हैं अपने ईमान से,किसी के रासतों को काट कर नहीं...

डूबते सूरज को सलाम कोई नही करता,कया उस का वजूद नही होता..

रात ढलती हैं,एक नई सुबह को फिऱ लाती हैं..लेकिन इस बार उसी सूरज को..

यही दुनियाँ सलाम करती हैं..कयो कि यही ढलता सूरज एक नई रौशनी लाता है..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...