फिऱ सुबह आई है..रात के अधेँरे को विदा कर के आई है..
कोयल की कूक सजा रही है इस नए सवेरे को...
देखो जगा रही है नींद मे सोने वालो को..
कौन इस कूक से जाग पाए गा,या सुुबह की नियामतो को हासिल कर पाए गा....
कोयल की कूक सजा रही है इस नए सवेरे को...
देखो जगा रही है नींद मे सोने वालो को..
कौन इस कूक से जाग पाए गा,या सुुबह की नियामतो को हासिल कर पाए गा....