Tuesday 28 July 2020

गुफ्तगू ऐसी ही बेफिक्र सी....चल आ उड़ चले इस आसमाँ मे इन परिंदो की तरह...दुनियाँ से दूर इक

नई सोच के तहत,प्यार के आँचल की तरह...ना दर्द हो कोई,ना तकलीफ़ों का झमेला...दौलत और झूठे

आडम्बर से परे हो एक हमारी नन्ही सी साफ़ दुनियाँ...साफ़ हो दामन इन पावन हवाओं की तरह...जिस

डाल पे बैठे,बन जाए बसेरा हमारा वहाँ...खूबसूरती वादियों की दिलों को छू जाए...बरसे जो बरखा तो

तेरे दामन से लिपट जाए...गुफ्तगू ऐसी ही बस बेफिक्र सी.......

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...