Wednesday 22 July 2020

इस दुनियाँ का कौन जाने,कल क्या होना है....
किस को रहना है ज़िंदा,तो कौन इन साँसों को अलविदा कह जाए गा..
दुनियाँ ख़तम होने की कगार पे है,यह इंसा समझ के भी समझ ना पाए गा...
आज जिस से बात की,कल वो होगा सही,कौन जान पाए गा...
उम्मीद के धागे सिर्फ इस उम्मीद से बांधते आए है...
उस की मरज़ी से खड़ी है जब यह सारी दुनियाँ...
तो खत्म करने मे वो देर भला क्यों लगाए गा..
करिश्मा कलयुग का तो देखिए जरा,इंसा आज भी अपनी..
हरकतों से बाज़ ना आया है...
किसी को नीचे दिखा रहा है अभी तो खुद को ऊँचा बताने से बाज़ ना आया है...
यह दौलत,यह शोहरत रहनी है यही,दो वक़्त की रोटी के लिए,कौन कितना मोहताज़ हो जाए गा..
दुनियाँ पल पल डूब जाने की कगार पे है,पर यह इंसान कब समझ पाए गा......

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...