Friday 17 July 2020

शाम घिरने को है,आ अब घर लौट चले....वो घर वो आशियाना,जो सिर्फ तेरा और मेरा है...वो दीवारें

जो हमारे प्यार की दस्तक हर पल देती है...झरोखों से झांकती वो उजली धूप,जब जब तेरे चेहरे पे

पड़ती है..हम क्यों जैसे तुझी मे गुमशुदा हो जाते है...तेरी यह गहरी काली आंखे,मुझे क्यों तेरे कृष्णा

होने का एहसास हर पल दिलाती है...सजती है जब जब मंदिर मे पूजा की थाली,मुझे तुझ मे आराध्य

का हर रूप बस दिखता है..तुम ही कृष्णा,तुम ही शिव मेरे और तुम्ही मे राम का चेहरा बसता है...तू

रूप धरे जितने,उतने ही प्यार के रंगो से मैं सज़ा दू तेरी-मेरी पूरी दुनियां....

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...