Sunday 12 July 2020

वो फूलों का महकना और खिल के बहकना...दोनों ही भा गए..हाथ से क्यों छूना इन को कि यह तो

दूर से ही अपनी चमक बरसा गए...ओस की चंद बूंदे इन्हे और खूबसूरत कर गई...निहारना और खूब

निहारना और इन की खुशबू को महसूस करना...कही यह हमारा पागलपन तो नहीं...गज़ब पे गज़ब,

सीख रहे है हम भी इन से महकना और खूब महकना....शायद ज़िंदगी इसी का उजला सा नाम है...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...