Wednesday 15 July 2020

बावरा मन अब किसी की सुनता ही नहीं...तुझे सोचे बिना अब कुछ करता  ही नहीं..दीवाने है,बस यह

बरसों से सुनते आए है..परदे के पीछे रह कर तालिया नहीं बजाई कभी ..बिंदास थे तब भी,आज भी

भी बिंदास रहते आए है...जो किया बस कर दिया,जो नहीं किया उस के बाद सोचा कुछ भी नहीं...

प्यार-प्रेम का दिखावा क्यों करते,प्रेम को जब लहू के साथ जी लिया हर पल..इल्ज़ाम पे इल्ज़ाम,यह

दुनियां की रीत है..यह रीत समझ जब आई,तब साँसों ने गिनती अपनी और बढ़ाई....

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...