इतने घनेरे बादल और फिर इन्ही मे बिजली का कड़कना...लगता क्यों है बस तूफ़ान आने को है...इक
दीया जला दिया इस तूफ़ानी रात मे इस उम्मीद से,वफ़ा की ताकत से यह बुझे गा कैसे...यकीन है इतना
जितना उस की इबादत पे है उतना..रात भर बरसा बादल मगर यह दीया बुझ नहीं पाया..शायद वफ़ा की
ताक़त होती ही है ऐसी...रुक गया यह तूफान और बिजली की कड़क मगर दीया जल रहा है अभी भी
उतनी शिद्दत से...कौन कहता है वफ़ा मे शफा नहीं होती,होती है मगर वफ़ा सच्ची भी तो हो...
दीया जला दिया इस तूफ़ानी रात मे इस उम्मीद से,वफ़ा की ताकत से यह बुझे गा कैसे...यकीन है इतना
जितना उस की इबादत पे है उतना..रात भर बरसा बादल मगर यह दीया बुझ नहीं पाया..शायद वफ़ा की
ताक़त होती ही है ऐसी...रुक गया यह तूफान और बिजली की कड़क मगर दीया जल रहा है अभी भी
उतनी शिद्दत से...कौन कहता है वफ़ा मे शफा नहीं होती,होती है मगर वफ़ा सच्ची भी तो हो...