Friday 17 July 2020

जान फूक दी अपने शब्दों से,इन बेजान परिंदो मे..फूल खिला दिए अपने इन हाथों के स्पर्श से..मौत से

झूझते हुए हज़ारो इंसानो को अपने शब्दों से,जीवन दिया जब हम ने...पन्नो पे लिखे यह शब्द जब जुबां

बना दिए हम ने स्याही से अपनी...कितनी उदासियाँ खिल गई पढ़ के इन महकते शब्दों से...कुछ गुमा

नहीं अपनी कारीगिरी पे,मगर उम्मीद के दीये हज़ारो जला दिए रोज़ यू ही हम ने...लौट के आना फिर से

ज़िंदगी की पनाहों मे,इतनी ताकत तो रही है इन खूबसूरत शब्दों मे हमारे...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...