Tuesday 14 July 2020

इस धरा पे उतरे क्या और भी ऐसे कृष्णा-राधा..ढूंढ ही ले गे फिर दुबारा ऐसे रिश्ते,जीने-मरने का एक

 साथ चलने का वादा...विरले होंगे मगर होंगे ऐसे सच्चे प्रेम को जीने वाले...सार्थक करे गे तमाम उन

शब्दों को,जो प्यार-प्रेम पे लिखे है इन पन्नो पे हम ने...प्रेम की कहां कोई भाषा होती है...जिस ने समझ

लिया वही यह भाषा होती है...इस मे डूबने से जो डर गया वो सच्चा साहिल कहां होगा...जो आखिरी सांस

तक जिस का था उसी का रह गया..वो प्रेम का,मुहब्बत का आखिरी पायदान होगा...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...