ना जाने कितनी ही सदियों से,ना जाने कितने ही काल से....हम-तुम बैठे है इन जन्म-मरण की खूबसूरत
वादियों मे...कौन कहता है हम तुम जुदा हो गए..सूरतें ही तो बदली है,रूह दोनों की एक सी है..जीवन
है साँसे भी है,मेरे हाथ की लक़ीरों मे तेरे ही नाम की आज भी एक लकीर है...इन आँखों मे आज भी तेरी
आँखों की इक पहचान भी है...फिर कैसे कह दू कि तू हर जन्म मेरा नहीं...नाम लिखा कर आए है अपनी
इन साँसों पे तेरा..ताना-बाना साँसों का है तेरा और मेरा...
वादियों मे...कौन कहता है हम तुम जुदा हो गए..सूरतें ही तो बदली है,रूह दोनों की एक सी है..जीवन
है साँसे भी है,मेरे हाथ की लक़ीरों मे तेरे ही नाम की आज भी एक लकीर है...इन आँखों मे आज भी तेरी
आँखों की इक पहचान भी है...फिर कैसे कह दू कि तू हर जन्म मेरा नहीं...नाम लिखा कर आए है अपनी
इन साँसों पे तेरा..ताना-बाना साँसों का है तेरा और मेरा...