ना निभाना तुम को आया,ना निभाना हम को आया...रिश्तो का दर्द समझना ना कभी उन को आया,
ना हम को समझ मे आया...टूटन तो यहाँ भी थी,टूटन का अहसास वहाँ भी था..कमी रही हर जगह
बस साथ छूट कर भी छूट ना पाया..आज ज़िंदगी मे आगे बहुत आ चुके है,टूटन के उस अहसास को
भुलाने के लिए खुद से भी दूर जा चुके है..कौन जाने ज़िंदगी की यह शाम कब ढल जाए,इसी ज़िंदगी
को मुकम्मल बनाने के लिए अनजान बनना तो अब समझ आया...
ना हम को समझ मे आया...टूटन तो यहाँ भी थी,टूटन का अहसास वहाँ भी था..कमी रही हर जगह
बस साथ छूट कर भी छूट ना पाया..आज ज़िंदगी मे आगे बहुत आ चुके है,टूटन के उस अहसास को
भुलाने के लिए खुद से भी दूर जा चुके है..कौन जाने ज़िंदगी की यह शाम कब ढल जाए,इसी ज़िंदगी
को मुकम्मल बनाने के लिए अनजान बनना तो अब समझ आया...