Sunday, 30 December 2018

दुल्हन की तरह दिखने के लिए,जरुरी तो नहीं लिबास दुल्हन जैसा ही पहना जाये..सजने के लिए यह

अहम नहीं कि जेवरात से ही सजा जाये..चमक चेहरे पे नज़र आये,क्या जरुरी है आईने के आगे ही

बैठा जाये..जब नज़र पारखी है मेहबूब की, सादगी मे मेरी  तुझे  अपनी दुल्हन नज़र आये..जब तेरी

याद भर से हम मुस्कुरा दे और तेरे लफ्ज़ो को अंदाज़ प्यार का मान ले.........कि तेरे जैसी दुल्हन

सदियों मे ही पैदा होती है...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...