दुल्हन की तरह दिखने के लिए,जरुरी तो नहीं लिबास दुल्हन जैसा ही पहना जाये..सजने के लिए यह
अहम नहीं कि जेवरात से ही सजा जाये..चमक चेहरे पे नज़र आये,क्या जरुरी है आईने के आगे ही
बैठा जाये..जब नज़र पारखी है मेहबूब की, सादगी मे मेरी तुझे अपनी दुल्हन नज़र आये..जब तेरी
याद भर से हम मुस्कुरा दे और तेरे लफ्ज़ो को अंदाज़ प्यार का मान ले.........कि तेरे जैसी दुल्हन
सदियों मे ही पैदा होती है...
अहम नहीं कि जेवरात से ही सजा जाये..चमक चेहरे पे नज़र आये,क्या जरुरी है आईने के आगे ही
बैठा जाये..जब नज़र पारखी है मेहबूब की, सादगी मे मेरी तुझे अपनी दुल्हन नज़र आये..जब तेरी
याद भर से हम मुस्कुरा दे और तेरे लफ्ज़ो को अंदाज़ प्यार का मान ले.........कि तेरे जैसी दुल्हन
सदियों मे ही पैदा होती है...